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Tuesday 2 May 2023

शुक्र ग्रह को बलवान करें, सुख व ऐश्वर्य पाएं (Strengthen the planet Venus, get happiness and prosperity)

शुक्र ग्रह को मजबूत करें, सुख व ऐश्वर्य पाएं (Strengthen the planet Venus, get happiness and prosperity):-आकाशीय नवग्रहों में से शुक्र की दीप्ति रूपी चमचमाहट और दबदबा सबसे जुदा और अद्वितीय हैं। इस तरह की मनोहरता के लिए शुक्र मशहूर हैं। अतः जब किसी भी जातक की देह की खूबसूरती और उसके मुखड़े की ताजगी और शोभा को देखना हैं तो जन्मकुण्डली में जन्म समय में शुक्र के हालात को देखना जरूरी होता हैं। यदि जन्मकुण्डली में शुक्र बुरे व क्रूर ग्रहों के साथ बैठा हो, दृष्टि संयोग के असर से कमजोर हैं और शुभ ग्रहों के साथ युति, दृष्टि से रहित हैं, तो स्त्री सुख या सुख-सुविधाओं एवं रहने के तरीके में सबसे पिछड़ा ही रहेगा। शुक्र का असर आधुनिक समय बहुत अधिक ही देखने को मिलता है। औरत का कारक ग्रह शुक्र ग्रह होता हैं। मन को अपनी तरफ आकर्षित करने, खूबसूरती का कारक शुक्र कारक ग्रह हैं। आधुनिक समय में अपनी सुंदरता में चार-चाँद लगाने के लिए बहुत सारी जगहों पर अलग-अलग ब्यूटी पार्लर खुल गए हैं, जहाँ पर आदमी या औरतें जाकर सबसे सुंदर देखने के लिए प्रयास करते हैं। खूबसूरती सभी को अपनी तरफ खींचने की क्षमता रखती हैं, इस खूबसूरती का प्रतीक शुक्र हैं। इसलिए संसार में बनी हुई हरेक वस्तु, चीज, जीव-जंतु, पेड़-पौधे आदि जो सबसे बढ़िया होती हैं, वह खूबसूरत हैं, भली-भाँति संस्कारित हैं, उसका रिश्ता शुक्र से हैं। इसलिए खूबसूरती हमेशा सभी को अपने मोह में खींचने के भाव रखती हैं। अतः जिनका शुक्र ग्रह जन्मकुण्डली में मजबूती दशा में होता हैं वह हमेशा अपने आप में दूसरों को अपनी तरफ खींचने का मुख्य बिंदु होते हैं। इस तरह जब भी शुक्र ग्रह जन्मकुण्डली में कमजोर हालात में होता हैं, तब शुक्र ग्रह से सम्बंधित उपायों को अपनाते हुए, कमजोर शुक्र ग्रह को बलवान करके, सुख व ऐश्वर्य को पाया जा सकता हैं। इसलिए शुक्र को बलवान करें, सुख व ऐश्वर्य पाएं।






Strengthen the planet Venus, get happiness and prosperity





जन्मकुण्डली में शुक्र ग्रह का प्रभाव:-जन्मकुण्डली में शुक्र ग्रह की स्थिति के आधार पर शुभ या अशुभ प्रभाव मिलते हैं। इन प्रभावों को जानने से पूर्व शुक्र ग्रह के बारे में जानकारी जानना भी जरूरी होता हैं, जिससे शुक्र की स्थिति का पता चल सकें।



◆आकाश में छोटे-छोटे तारों के समूह में नवग्रह होते हैं, उन नवग्रहों में से शुक्र ग्रह चमकीले रूप में अपनी गति से घूमते हुए अपनी परिक्रमा को पूर्ण करता हैं। इस तरह से शुक्र को आकाशगंगा में ग्रह के रूप में स्थान मिला हैं। बारह राशियों में से दो राशियों जैसे-वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता हैं और महादशाओं में शुक्र ग्रह की महादशा बीस वर्ष की होती हैं।



◆शुक्र अपनी गति से घूमते हुए एक राशि का चक्कर पूर्ण लगाकर दूसरी राशि में प्रवेश करने में डेढ़ महीना का समय लेते हैं या सत्ताईस दिन का समय लेते हैं। 



◆सताईस नक्षत्रों में से तीन नक्षत्रों जैसे-भरणी, पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा आदि पर अपना स्वामित्व रखते हैं। 



◆शुक्र ग्रह शीघ ही आवेश में आने वाला, ऊर्जा से परिपूर्ण, दूसरों पर रौब जमाने वाले, अपने आपको ही सबकुछ मानने वाला, सभी तरह की सुख-सुविधाओं, बहुत सारी चाहत वाला, अपना मतलब साधने वाले आदि राजसिक गुणों वाले होते हैं।



◆शुक्र ग्रह गुरु की राशियाँ जैसे-धनु व मीन के साथ सम, एवं शनि की राशियाँ जैसे-मकर, कुंभ, मंगल की राशियाँ जैसे-मेष, वृश्चिक के साथ सम, बुध की राशियाँ जैसे-मिथुन, कन्या के साथ मित्रता का सलूक करते हैं।




◆शुक्र ग्रह चन्द्रमा की राशि कर्क और सूर्य की राशि सिंह के साथ दुश्मन की तरह सलूक करते हैं। 




◆शुक्र ग्रह की उच्च राशि मीन होती हैं, जिससे मीन राशि में अपनी उच्चता रखते हुए अच्छा फल प्रदान करते हैं।



◆शुक्र ग्रह की नीच राशि कन्या होती हैं, जिससे कन्या राशि में अपनी नीचता के भाव रखते हुए बुरे फल प्रदान करते हैं।




◆सौम्य या बुध ग्रह के साथ पवित्र, निर्मल, सत्यनिष्ठा शुक्र ग्रह रखते हुए सलूक करते हैं।



◆मंद एवं सैंहिकय ग्रह के साथ अपने हठधर्मिता, सम्मान नहीं देते हुए औए असभ्य सलूक शुक्र करते हैं।



◆शुक्र ग्रह रवि, सोम और भौम के साथ दुश्मनी भाव रखते हुए दुश्मन की तरह सलूक करता हैं।



◆शुक्र ग्रह जिस स्थान पर भी बैठा होता हैं, उस स्थान से अपनी सातवीं पूर्ण दृष्टि से सातवें घर को देखतहें।



◆शुक्र ग्रह दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) पर स्वामीत्व रखते है। जब किसी भी जातक का जन्म दिन के समय हुआ होता हैं, तब उसकी जन्मकुण्डली में शुक्र ग्रह के द्वारा माता की कुंडली का भी अध्ययन किया जाता हैं।



 

◆जब किसी भी जातक की जन्मकुण्डली के पहले घर से सातवें घर में शुक्र ग्रह बैठा होता हैं, तब वह बुरा व अमंगलकारी नतीजे ही प्रदान करता हैं। ग्रह गति के आधार पर जब दो सौ सताइस वर्ष का समय शुक्र ग्रह घूमते हुए पूर्ण करता हैं, तब शुक्र ग्रह वापस जिस तिथि, मास, दिन व समय में उसी अंशादी में वापस आ जाता हैं।




◆जब किसी भी जातक के पाणिग्रहण, दाम्पत्य जीवन सुख, निवास स्थान के बनाने के लिए, अपने जन्म स्थान से परदेश में जाने, पद की तरक्की, जीविका निर्वाह के साधन के शुरू करने में, शुभ कार्यक्रम या उत्सव आदि के मुहूर्त को निकालते समय जातक की जन्मकुण्डली में स्थित शुक्र की स्थिति को ध्यान में रखते हुए किया जाता हैं।

 


◆मनुष्य के जीवनकाल में सभी तरह के आराम को प्रदान करने का नियामक शुक्र ग्रह को माना जाता हैं। इसलिए जो मनुष्य अपने जीवनकाल में सभी तरह के आराम, धन-संपत्ति व सफलता की कामना रखते हैं, उन मनुष्य की जन्मकुण्डली में शुक्र ग्रह का मजबूत या बलवान होना बहुत जरूरी होता हैं।




◆शुक्र खूबसूरती, सभी तरह के सुख को भोगते हुए जैसे-शारीरिक सुख, प्रणयक्रिड़ा आदि से हँसी-खुशी का जीवन जीना, दूसरों को अपने मनमोहक भावों से अपनी तरफ खींचने का, लगाव, स्नेह, किसी भी काम को सही तरीके से करने में दक्षता, चित्रकारी, मधुर विशष्ट ध्वनियों के साथ गाने वाले संगीत, जीवन को सभी तरह के आरामदायक वस्तु आदि से बहुत सरल और घनिष्ठ रिश्ता हैं। शुक्र सभी तरह के आराम या मौज का कारक ग्रह है। आधुनिक युग में प्रत्येक मनुष्य अपनी योग्यता, आर्थिक सामर्थ्य और सामाजिक मान-मर्यादा को दूसरों की देखा-देखी में अपनी आवक से सुख-सुविधाओं की वस्तुओं पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं।




शुक्र का द्वादश घर या भावगत प्रभाव:-निम्नलिखित होता हैं।




प्रथम भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के पहले घर में शुक्र स्थित हो, वह देखने व मन को भाने वाला खूबसूरत होता हैं, जो अपनी वाणी में मिठास के शब्दों को लिये हो, हर समय खुश व आराम से रहने वाला, राजकीय कार्य को अपने अनुभव व अभ्यास के द्वारा सही तरीके से करने वाला, लंबी उम्र वाला, बहुत अधिक लोग जानते हो, आदर पाने वाला, शिष्टता से बातचीत करने वाला, अपने जन्म स्थान से दूर जाने की कामना रखने वाला, किसी भी चीज या किसी भी तरह से प्रत्येक को पाने की चाहत रखने वाला, जो अपने से विपरीत की लिंग वाले कि तरफ आकर्षण रखने वाला, राजकीय विभाग में ऊंचे पद को पाने वाला, अपने खूबसूरत मुख और देह से आकर्षण देने वाला, रहने का तरीका सबसे जुदा एवं अनूठापन लिये हो और उम्र से कम उम्र का दिखने वाला सदा जवान हो आदि।





द्वितीय भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के दूसरे घर में शुक्र स्थित हो, वह मनुष्य खूब धन वाला, जानकर, औरतहो तो अपने रूप से अपनी तरफ खींचने वाली, बोली से बहुत मधुर वचन बोलने वाला, सबको साथ लेकर चलने की सोच वाला, मीठी वस्तु जैसे-मावा, चॉक्लेट आदि का चाव रखने वाला, मशहूर, किस्मत का साथ पाने वाले, नामचीन कुटुंब से युक्त, बहुमूल्य नग आदि वाणिज्य से अपनी जीविका निर्वाह करने वाला होता हैं।




तृतीय भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के तीसरे घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक किसी भी काम को टालने वाला सुस्त प्रवृत्ति का, जरूरत के समय भी धन को खर्च न करने वाला, सभी तरह से आराम से सुख भोगने वाला, बहुत रुपये-पैसों वाला, बहुत सारी बातों का जानकारी रखने वाला, किस्मत का साथ प्राप्त करने वाला, भाइयों से ज्यादा बहिनें, कला से अपनी निपुणता से जीवका चलाने वाला,  बात को अक्षरों में कागज आदि पर लिपिबद्ध करने का चाव रखने वाला और एक स्थान से दूसरे स्थान का सफर करने का शौक रखने वाला होता हैं।





चतुर्थ भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के चौथे घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक का निवास स्थान बहुत ही खूबसूरत, बढ़िया दोस्तों से दोस्ती करने वाला, रुपये-पैसे सहित खूब जमीन-जायदाद वाला, दूसरों से मन ही मन में जलन रखने वाला, दूसरों से आगे बढ़ने की होड़ की सोच वाला, दिखने में आकर्षक, शरीर से मजबूत कद-काठी, दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर, उदार हृदय, होशियार, अपने सुख की चाहत वाला, किस्मतवाला, सन्तान-सुख से युक्त, लंबी उम्र वाला और सवारी सुख को प्राप्त करने वाला होता हैं।




पंचम भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के पांचवें घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक कम मेहनत करने पर भी फायदा पाने वाला, सोचने-समझने वाला जज्बाती, विलासप्रिय, दूसरों में गुण देखने वाला, प्रेम मिजाज वाला, सभी तरह से सुख-सुविधाओं से आराम से रहने वाला, सबके साथ समान दृष्टि व सोच रखने वाला, सबका भरोसा रखने वाला, सभी तरह की बातों का जानकार, मशहूर व किसी भी विषय को सही तरीके से सही कहने वाला, सन्तान-सुख युत, प्रेम-प्रसंग वाला, कविता रचने वाला और औरत-आदमी अपने सहयोगी से संतुष्ट रहने वाले होते हैं। यदि शुक्र के साथ चन्द्रमा भी पांचवें भाव में बैठा होने पर प्रेम-विवाह के योग भी बन सकते हैं।




षष्ठम भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के षष्ठम घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक बहुत कठिन मेहनत करने पर उस मेहनत का उचित नतीजा नहीं मिलता, बहुत सारे मित्रों से युक्त, जातक के दुश्मन बहुत कम, रुपये-पैसों से कंगाल, दूसरों से रुपये-पैसों को उधार लेकर ऋण करने वाला, आवक से ज्यादा खर्च करने के मिजाज वाला, नीति के विरुद्ध कार्य करने वाला, मूत्र संबंधी विकार, जननेंद्रिय अंगों में व्याधि से ग्रसित रहने वाले होते है।




सप्तम भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के सप्तम घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक मौज-मस्ती में समय बिताने वाला, मर्यादा के विरुद्ध दूसरों के साथ कामक्रीड़ा के सुख के लिए रिश्ता बनाने वाला, दाम्पत्य जीवन में सुख पाने वाला, किसी चीज को पाने की तीव्र कामना वाला, रुपये-पैसों से युक्त, शादी के बाद जीवन में प्रगति करने वाला, किस्मत का साथ मिलना, दुसरों की मदद करने वाला, पति या पत्नी सुंदर पाने वाले, जीविकोपार्जन के पेशे को श्रेष्ठ तरीके से करने वाला, नृत्य और वाद्य के साथ गाने की कला में लगाव और शर्मीले मिजाज वाला।




अष्ठम भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के अष्ठम घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक को सवारी सुख मिलता हैं, लंबी उम्र पाने वाला, मन को खुश करने या दिखाने के लिए बहुत सुख-सुविधाओं की वस्तुओं का उपयोग करने वाला, सुख-सुविधाओं के लिए रुपये-पैसे खर्च करने वाला, खराब चाल-चलन के मार्ग पर चलते हुए समाज विरोधी कार्य को करने वाला लेकिन दोषहीन होशियार बनाता है। अपने जन्म स्थान को छोड़कर परदेश को जाने वाले, बीमारियों से ग्रसित, दूसरों को कष्ट देकर आनन्द लेने वाले, छोटी-छोटी बातों पर जल्दी रोष करने वाले, गुप्त विधाओं के प्रति लगाव रखने वाले, पढ़ने-लिखने में रुचि रखने वाले, बैचेन व दुख से भरा हो, अपने लिंग से विपरीत लिंग के प्रति झुकाव व उसके साथ नीति व मर्यादा के विरुद्ध कामक्रीड़ा का रिश्ता बनाने वाले होते हैं।




नवम भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के नवम घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक खूब धन-संपदा वाला, समाज में शोहरत पाने वाला, अपने नजदीक के लोगों का बहुत अच्छा सहयोग व मार्गदर्शन मिलता हैं। ईश्वर, परलोक आदि के संबंध में आस्था एवं पूजा विधि करने में रुचि रखने वाला, सोच-समझकर एवं सलीके से काम को करने वाला, किसी भी तरह की चिंता नहीं रखने वाला, गृहस्थी जीवन में सुख, पिता के साथ सुखपूर्वक एवं कहना मानने वाले, लड़ाई करने में रुचि वाले, दूसरों पर दया भाव रखने वाला, देवी-देवता के पूजा-पाठ एवं दर्शन के लिए सफर में रुचि रखने वाले और राजकीय विभाग से सम्मान प्राप्त करने वाले होते हैं।





दशम भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के दशव घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक ज्यादा की चाहत रखने वाला, रुपये-पैसे होने पर भी जरूरत पर खर्च नहीं करने वाले, दूसरों पर दया करने वाले, किस्मतवान, रुपये-पैसों एवं हीरे-जवाहरात अथवा खूबसूरती के श्रृंगार के व्यवसाय में रुचि रखने वाला होता हैं।



  

एकादश भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के एकादश घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक को भाई-बहनों से फायदा व सुख देने वाला, समान की खरीद-बिक्री से जीवका निर्वाह के पेशे को करने वाले, रुपये-पैसे एवं ऐश्वर्य-वैभव से युत, दूसरों की मदद करने वाले, सवारी सुख एवं संतान सुख से युत, स्थायी रूप से एक ही बात पर अडिग रहने वाला, बहुत की चाहत रखने वाले, कामसुख की रुचि वाले और रत्नादि के व्यापारी होते हैं।




द्वादश भाव:-जिस मनुष्य की जन्मकुण्डली के द्वादश घर में शुक्र स्थित हो, तो जातक अध्ययन और शिक्षा से प्राप्त ज्ञान में लगाव वाले, हुनरमंद वाले दूसरे मनुष्यों का कद्र करने वाले विद्या प्रेमी एवं गुणी जनों का आदर करने वाला होता है। सबके साथ एक समान इंसाफपसंद मिजाज के, दूसरे लिंग के प्रति झुकाव रखते हुए उनसे रिश्ता बनाने के शौकीन, ज्यादा रुपये-पैसों को खर्च करने वाले, ज्यादा खाने-पीने में रुचि वाले, बहुत रुपये-पैसों वाले, काम को कल पर टालने वाले, धर्म और नीति के विरुद्ध गुनाह करने वाले और पुरुषत्व शक्ति संबंधी विकासर से ग्रसित होते हैं।




◆जब शुक्र बारहवें घर में हो, तो जातक को बहुत धन प्रदान करता हैं।



◆जब शुक्र ग्रह सूर्य, चन्द्र व गुरु से बारहवें घर में होता हैं, तब जातक को सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती हैं।



◆जब शुक्र ग्रह सूर्य व लग्न में एवं बारहवें घर में हो, तो बहुत ही अच्छा रहता हैं अर्थात् सोने पर सुहागा वाली कहावत चरितार्थ करता है। 





उदाहरणार्थ:-महारानी विक्टोरिया के तीनों लग्नों जैसे-लग्न कुंडली, चन्द्रकुंडली व सूर्य कुंडली से बारहवें घर में शुक्र है। उनको इस बारहवें घर के शुक्र ने जीवन के तीस वर्षों तक राज्य एवं ऐश्वर्य सुख प्रदान किया।




शुक्र ग्रह को मजबूत या बलवान करने के सरल तरीके या शुक्र ग्रह के दोष निवारण के उपाय (Simple ways to strengthen or strengthen the planet Venus or remedies for the defects of the planet Venus):-निम्नलिखित हैं।



◆जब शुक्र ग्रह कमजोर हो, तो जातक को सबसे प्रातःकाल उठते ही किसी से भी बोले बिना ही अपनी माता के चरण को छूना चाहिए।



◆शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए हमेशा शुक्रवार के दिन काक को तंदुल को दुग्ध में मिलाकर बनाई हुई खीर (खुरा) को खिलाना चाहिए।



◆शुक्र ग्रह को बलवान करने के लिए शुक्र ग्रह के देवता अर्थात् माता लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना उनके मन्त्रों-स्तुति या स्तोत्र आदि से करके उनको खुश करना चाहिए। जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सकें।



◆मनुष्य को अपने देह की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।



◆मनुष्य को अपने कपड़े साफ-सुथरे व अच्छी तरह बिना मैल के धुले हुए पहनने चाहिए।



◆शुक्रवार के दिन को धेनु को हरा चारा जैसे-रिजका आदि देना चाहिए।



◆शुक्र ग्रह की शांति के लिए गौ माता की पूजा जैसे-कंकु, पुष्प आदि से करनी चाहिए।



◆जब मनुष्य खाना खाने लगे तब उसके सजी हुई खाने की थाली में से कुछ खाने का हिस्सा गौ माता के नाम का निकाल लेना चाहिए। फिर उस निकाले गए खाने को गौ माता को खिलाना चाहिए।



◆शुक्र ग्रह को बलवान करने के लिए गाय का दान किसी गरीब या पंडित ब्राह्मण को करना चाहिए।



◆शुक्रवार के दिन विशेषकर साफ-सुथरे सफेद रंग के कपड़े पहने से कमजोर शुक्र ग्रह को बल मिलता हैं।

 


◆शुक्र ग्रह की अशुभता होने पर घृत, दधि, घनसार, श्वेत मुक्ता, श्वेत कपड़े आदि का किसी असहाय या ब्राह्मण को देना चाहिए।



◆शुक्रवार के दिन सफेद बर्फी को किसी एक आंख वाले या काने ब्राह्मण को खिलाना चाहिए।



◆शुक्रवार के दिन घृत, दधि, घनसार, श्वेत मुक्ता, श्वेत कपड़े आदि को शुक्र ग्रह से पीड़ित मनुष्य के ऊपर सात बार उसार कर बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए।




◆शुक्रवार के दिन सरपंखा की जड़ को स्वर्ण धातु से बने ताबीज में रखकर उसको सफेद सूती धागे के द्वारा बांधकर गले या हाथ की भुजा में धारण करना चाहिए।




◆शुक्रवार के दिन सुबह पहले से बनाई हुई प्लेटिनम की अंगूठी को धेनु के दुग्ध एवं मधु के द्वारा स्नान कराकर अनामिका अंगुली में पहनना चाहिए। 



◆शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर शुक्रवार के दिन जरकन या डायमंड या हीरा रत्न को धारण करना चाहिए।



◆शुक्र ग्रह के लिए परफ्यूम का प्रयोग करने पर भी शुक्र ग्रह बलवान होता है।



◆मनुष्य को अपनी पत्नी का मान-सम्मान करते हुए उसे खुश रखना चाहिए।





◆जो औरतें गरीब हो उनकी मदद करनी चाहिए जैसे-उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर उनको भोजन सामग्री, बीमारी में दवाइयां, उनके पालन-पोषण के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार मदद करना और उनको खाना खिलाना।  





◆जिन औरतों के पति का स्वर्गवास हो चुका हैं, उन औरतों की मदद करते हुए अपनी क्षमता के अनुसार देखभाल करने पर शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं।




◆शुक्र ग्रह को मजबूत या बलवान करने के लिए मनुष्य को अपने शरीर पर सफेद कपड़े जैसे-बनियान, अंडरगारमेंट्स या हाथ या मुँह पौंछने के लिए रुमाल का प्रयोग करना चाहिए।




विशेष:-जब किसी भी जातक की जन्मकुण्डली में शुक्र ग्रह बलवान होता हैं, तब जातक को सभी तरह के सांसारिक आराम, धन-वैभव, शारीरिक व मानसिक सुविधाएं आदि प्राप्त होती हैं और निवास स्थान में रहने वाले खानदान के सभी लोगों से मधुरता से संबंध, लगाव, मदद आदि की प्राप्ति होती हैं। जातक अपने निवास स्थान की साज-सज्जा का मुख्य रूप ध्यान रखते हैं। जातक को बहुत गुणवती, मन को अपनी तरफ खींचने वाली, मधुरभाषी भार्या मिलती हैं और उसका दाम्पत्य जीवन सुख-शान्ति से बिना किसी मतभेद-क्लेश से व्यतीत होता हैं। इसलिए जातक के जीवन में सभी तरह के सुखों के लिए शुक्र ग्रह का अच्छा होना जरूरी होता हैं 




जन्मकुण्डली से कैसे पता करें शुक्र मजबूत या कमजोर हैं?:-जब जन्मकुण्डली का विश्लेषण किसी योग्य पंडित से करवाते हैं या मनुष्य के जीवन में सभी तरह के शारीरिक, मानसिक और सांसारिक सुख-सुविधाओं में कमी या प्राप्ति नहीं होती हैं, तब मनुष्य को समझना चाहिए कि उसका शुक्र ग्रह कमजोर हैं और जब सभी तरह की सुख-सुविधाएं बिना प्रयास के ही मिलती हैं, तब समझना चाहिए कि शुक्र मजबूत स्थिति में हैं।