भाग्योदय कब और कैसे होगा? जानें रमल ज्योतिष से(When and how will fortune-telling happen? Learn from Ramal Jyotish):-रमल अरबी ज्योतिष से मनुष्य के भाग्योदय, सुख-शांति, फायदा, भौतिक साधनों की प्राप्ति, धन-सम्पत्ति, परिवार के अंदर सुख-शांति की प्राप्ति कब, कैसे आदि सवालों का जबाब रमल अरबी ज्योतिष के गणित द्वारा बारीकी से अध्ययन कर प्राप्त किया जा सकता है। रमल अरबी ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य का नाम, माता-पिता का नाम, दिन, वार, घड़ी, जन्मपत्रिका और तो पंचांग की जरूरत नहीं होती है। यह सारी जानकारी मनुष्य द्वारा पासे जिसे अरबी भाषा में "कुरा" कहते है। मनुष्य द्वारा पासों को किसी शुद्ध पवित्र जगह पर डलवाए जाते है यह सभी कार्य प्रणाली किसी जानकार के सामने की जाती है।
यदि मनुष्य जानकर के सामने नहीं होता है तो एक नये शोध प्रणाली के द्वारा जैसे-"प्रश्नफार्म" के माध्यम से भी किया जा सकता है। इन दोनों कार्य प्रणाली द्वारा किया गया प्रश्न। रमल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणितीय पद्धति से अलग होता है लेकिन नतीजा समान रहता है जो समय के आने पर एकदम सही होता है।
रमल अरबी ज्योतिष शास्त्र के आधार से मनुष्य द्वारा भाग्योदय कब और कैसे का:-प्रश्न उक्त दोनों विधियों में से किसी एक विधि द्वारा प्रश्न किया जाता है। उक्त प्रश्न के अनुसार जायचा यानी कि प्रस्तार बनाया जाता है।
◆यदि प्रस्तार में फरह शक्ल आकृति जो कि शकुन पंक्ति की पांचवे घर की अच्छी मुनक्लिब शक्ल, राशि तुला, काल दिन, ग्रह शुक्र, जिदह पंक्ति के अनुसार 15 अंक की शक्ल है।
◆यदि प्रस्तार के उम्हान्त घर में हो तो बीस की उम्र वय में सुख-शांति, लाभ, वैभव, भाग्योदय मिलता है।
◆यदि फरह शक्ल विनान्त घरों में हो तो बीस साल की उम्र से चालीस साल तक कि उम्र में सुख-शांति, लाभ, वैभव, भाग्योदय मिलता है।
◆यदि फरह शक्ल मुतबल्लेदात के घरों में हो तो मनुष्य को चालीस से सांठ साल की वय में सुख-शांति, लाभ, वैभव, भाग्योदय मिलता है।
◆यदि जवाहदात घरों में फरह शक्ल होने पर साठ साल की उम्र वय से जीवन के अंतिम चरण तक सुख-शांति, लाभ, वैभव, भौतिक साधनों की प्राप्ति, भाग्योदय की प्राप्ति के बराबर होती है।
◆यदि फरह प्रस्तार जायचे के चौथे घर में हो तो आजीवन भाग्योदय सुख-शांति, फायदा, समय-समय पर बराबर प्राप्ति का होना पाया जाता है। उक्त फराह शक्ल के प्रस्तार में आने के अलावा मुख्यतौर पर नजर-ए-मिकाराना, नजर-ए-तरवरी, निकटवर्ती साक्षी का देखना दोनों विधियों में जरूरी है। जिससे मनुष्य का उक्त प्रश्न के नतीजे की सही पुष्टि हो सके।
◆यदि प्रस्तार में फरह शक्ल आकृति ना हो तो प्रस्तार के भाग्य स्थान की शक्ल से उक्त विधि द्वारा नतीजा को बयान करने का विधान है।
◆यदि भाग्य स्थान में शक्ल अशुभ व महान अशुभ हो तो मनुष्य जीवन भर दुर्भाग्यता, गरीबी रहती है साथ ही तमाम शारीरिक-मानसिक-आर्थिक परेशानियों व कष्टो के बराबर जीवन का सफर में रहेगा। इसी स्थिति में पारिवारिक भौतिक सम्पन्नता की ओर बढ़त नहीं होना पाया जाता है।
यदि प्रश्नकर्ता को अपने जीवनकाल में कुछ समय कार्य व अन्य बातों की स्थिति में गिरावट हो तो। किस ग्रह की वर्तमान में प्रतिकूलता या अशुभता बराबर चल रही है। जिसके कारण से यह सारी स्थिति शारीरिक-मानसिक आर्थिक बंद से परेशानी पर आ गयी है।
रमल अरबी ज्योतिष के आधार पर भाग्योदय व जीवन की परेशानियों से मुक्ति के उपाय:-इस वास्ते रमल अरबी ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक उस ग्रह की जानकारी कर अधिष्ठाता मन्त्र-तन्त्र अथवा विधि-विधान द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा कराकर धारण करनी चाहिए। जिससे कि कुछ फायदा और शांति हो सके।