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Tuesday 8 March 2022

बिना समय के जन्मकुण्डली को ग्रहों के आधार पर कैसे बनवाएं(How to make horoscope based on planets without time)


बिना समय के जन्मकुण्डली को ग्रहों के आधार पर कैसे बनवाएं(How to make horoscope based on planets without time):-जब किसी भी मनुष्य की जन्मपत्रिका या जन्मकुंडली कट-फट जाती है, जन्म का समय(इष्ट), संवत, नक्षत्र, वार और दिनमान आदि पूरी तरह से साफ-सुथरा नहीं होता है। तब मनुष्य की जन्मकुंडली या जन्मपत्रिका को किस तरह बनाये, इसका भी ग्रहों के आधार निवारण मिल जाता है। पुराने जमाने में जन्मकुंडली या जन्मपत्रिका हाथ से लिखर बनाते थे, जो कि खातों के पन्ने को लम्बा जोड़कर रोल के रुप में किया जाता था। रोल के रूप में बनी होने से इसे जन्मकुंडली कहा जाता था, लेकिन आज के युग में जन्मकुंडली कम्प्यूटर से बनने के कारण इसे जन्मपत्रिका कहने लगे है। 



How to make horoscope based on planets without time



पुराने जमाने की हाथ से लिखी हुई कुण्डली को देखने में ज्योतिष के जानकार ज्योतिषी को बहुत ही ज्यादा मुश्किल का सामना करना पड़ता था। अधिक बार इस रोल वाली हाथ से लिखी हुई कुण्डली को खोलने और बन्द करने पर उसके पन्ने कट-फट जाते थे, जिससे ज्योतिषी को पढ़ने व उसका फलादेश सही तरह से नहीं कर पाते थे। इसलिए कटी-फटी व बेकार हो चुकी कुण्डली को फिर से कैसे बनाये। इस कटि-फटी व बेकार हो चुकी कुण्डली को कुछ तरीकों से फिर बना सकते है, जिससे मनुष्य को पूरा जीवन भर का सही व सटीक फलादेश मिल सके और जीवन में वह उन्नति कर सकें।




कटी-फटी व खराब हो चुकी जन्मकुंडली को ग्रहों द्वारा फिर से कैसे बनाये?:-ज्योतिष शास्त्र में रवि का प्रमुख जगह होती है। रवि के बगैर ज्योतिष शास्त्र का कोई महत्व नहीं रहता है। खराब व खत्म हो चुकी जन्मकुंडली के फिर से बनाने के वास्ते रवि, सोम और मन्द की स्थितियों को नजर में रखना होता है। रवि, सोम और मन्द तीनों ग्रहों की कुण्डली में स्थिति के आधार पर खराब व खत्म हो चुकी कुण्डली को फिर से बना सकते है।




रवि ग्रह के जन्म समय एवं महीने की जानकारी:-कुंडली में रवि ग्रह की स्थिति से हमको (खराब व बेकार कुंडली मे) मनुष्य का जन्म समय, महीना (देशी माह या अंग्रेजी में)की जानकारी मिल सकती है।



पक्ष की जानकारी:-पक्ष की जानकारी निम्नलिखित माध्यम से जान सकते हैं।



◆शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष व तिथि की जानकारी सोम ग्रह की गति या वर्तमान समय में स्थिति से मिलती है।



◆मन्द ग्रह से मनुष्य के जन्म के संवत या सन की जानकारी मिल सकती है।



◆दिन व रात में चौबीस घण्टों का समय होता है, उसी तरह कुण्डली में भी बारह खाने या घर होते है। इस तरह एक घर या खाना का मान दो घण्टों के बराबर का होता है।




रवि ग्रह के उगने के आधार पर जन्म समय की जानकारी:-कुंडली को बनाते समय में रवि के उगने के समय जिस राशि का उदय होता है, वही राशि को लग्न या पहले घर में रखी जाती है। इस तरह लग्न या पहला घर में रवि उदय हुआ। कुण्डली को घड़ी की दिशा में देखने में दसवां घर या भाव दोपहर का, सातवां घर सांयकाल का और चौथा घर मध्य रात्रि का होता है। इस तरह खराब व बेकार हुई कुंडली में रवि जहां पर स्थित होता है, उसी के अनुसार जन्म का समय को जान सकते है।




रवि के आधार पर माह की जानकारी:-जब रवि 14 अप्रैल वैशाख महीने में मेष राशि में आता है या रवि 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे हम 'मकर सक्रांति' कहते है। इस तरह एक राशि में रवि एक महीने तक रहता है।



◆ रवि एक संख्या अर्थात मेष राशि में होने पर मनुष्य का जन्म 14 अप्रैल से 13 मई के बीच में हुवा माना जायेगा। 



◆इसी तरह यदि रवि दसवीं संख्या अर्थात मकर राशि में होने मनुष्य का जन्म 14 जनवरी से 13 फरवरी के बीच माना जायेगा।


◆इसी तरह यदि रवि चौथी संख्या अर्थात कर्क राशि में होने पर मनुष्य का जन्म 15 जुलाई से 14 अगस्त के बीच माना जायेगा।



सोम ग्रह के आधार पर पक्ष और जन्मतिथि की जानकारी:-सोम सात घर पहले कुण्डली में जहां पर रवि स्थित है, तो मनुष्य का जन्म शुक्ल पक्ष में होगा।



◆सोम ग्रह रवि ग्रह से सात घर आगे होने पर मनुष्य का जन्म कृष्ण पक्ष का जानना चाहिए।



◆इसी तरह सोम ग्रह रवि गरबा से जितने घर आगे होता है, उसे ढाई से गुणा करने पर मनुष्य के जन्मतिथि की जानकारी मिल जाती है।



◆उदाहरण स्वरूप यदि रवि मेष राशि में पहले भाव मे होने पर रवि से सोम कन्या राशि में होने पर मनुष्य का जन्म शुक्ल पक्ष का होगा।



◆यदि मेष राशि लग्न घर में रवि होता है,तो रवि से सोम जो कि धनु राशि नवे घर में होने से मनुष्य का जन्म कृष्ण पक्ष का होगा।



मन्द ग्रह के आधार पर साल की जानकारी:-जन्मकुंडली में जिस राशि का मन्द होने पर उससे वर्तमान मन्द जिस राशि पर होता है, उस तक गिनते है,गिनने पर जो अंक मिलते है उनको ढाई से गुणा करते है। गुणा करने पर जो संख्या मिलती है, वह संख्या पिछली साल की होगी। वर्तमान संवत में से घटाने पर पिछले साल आ जायेगा। संवत व साल में 57 वर्ष का अंतर होता है। 30 साल में मन्द ग्रह 12 राशियों में घूमने का एक चक्र को पूरा करता है।



इस तरह से हमें जो जानकारी मिलती है, उसके आधार पर हमको सही जानकारी के लिए हमको यह भी ज्ञात होंना चाहिए कि कौन से माह में रवि उदय का समय क्या होता है, उसी आधार पर हम समय के घण्टे निकल सकते है और खराब व कटी-फटी जन्मपत्रिका को फिर से बनाकर ठीक कर सकते है।



◆14 जनवरी को रवि जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन से रवि उदय में प्रत्येक दिन करीब एक-एक मिनट कम होने लगता है और 15 जून तक यह प्रक्रिया चलती रहती है। 



◆14 जनवरी को रवि उदय का समय 7-22 मिनट होता है। इसी तरह 16 जून से रवि उदय में एक-एक मिनट की बढ़ोतरी होती रहती है और यह प्रक्रिया 13 जनवरी तक चलती है। 16 जून को रवि उदय का समय 5:36 मिनट का होता है।



◆जन्मपत्रिका चाहे आदमी की हो या औरत की हो इसकी जानकारी के लिए जन्मकुंडली में मन्द ग्रह की स्थिति को देखना पड़ता है।



◆मन्द ग्रह लग्न के घर को छोड़कर विषम स्थान में बैठा हो और पुरुष ग्रह मजबूत हो तो पुरुष की कुण्डली को समझना चाहिए।



◆मन्द ग्रह लग्न के घर को छोड़कर सम स्थान में बैठा हो और पुरुष ग्रह मजबूत हो तो स्त्री की कुण्डली को समझना चाहिए।



इस तरह कोई भी मनुष्य इन सब जानकारी से अपनी कुण्डली को बना सकता है, लेकिन उसको इन सब बातों की जानकारी होनी चाहिए। बिना जानकारी से करने पर वह गलत कुंडली बना सकता है। इन सब बातो की सटीक व सही जानकारी के लिए मनुष्य को अभ्यास की जरूरत होती है।