शेयर बाजार की तेजी-मंदी में कारक ग्रहों का प्रभाव (Effect of planets in stock market boom and recession):-आधुनिक युग में प्रत्येक क्षेत्र में मनुष्य की रुचि अधिक धनवान बनने की होती हैं, प्रत्येक मनुष्य शीघ्रता से रुपये-पैसों को कमाना चाहते हैं, जिससे वे धनवान बन जावें। धनवान बनने के लिए वे कही-कही तरह के माध्यम को अपनाते हैं जैसे-जुआ, सट्टा, अनैतिक कार्य और शेयर बाजार आदि। जिनमें से शेयर बाजार के क्षेत्र में मनुष्य अपनी किस्मत को आजमाने के लिए कदम रखते हैं। शेयर बाजार का क्षेत्र एक किस्मत पर निर्भर करता हैं और इस क्षेत्र में बहुत ही आगे बढ़ने के लिए संघर्षों का सामना करना पड़ता हैं। शेयर बाजार अंकगणित खेल होता हैं, जो व्यक्ति इसमें सफल हो गया वह ऊंचाइयों को छू लेता हैं, जो व्यक्ति अंकगणित के खेल में नाकामयाब होगा वह शिखर से जमीन पर आ जाता हैं। क्योंकि शेयर बाजार में प्रत्येक क्षण खतरा बना रहता हैं। किस्मत के हाथ में शेयर बाजार निर्भर होता हैं। जिन मनुष्यों की जन्मकुण्डली या गोचरवश ग्रहों के हालात अच्छे होते हैं, उनको शेयर बाजार बुलंदी की दहलीज पर पहुंचा देता हैं। शेयर बाजार में मनुष्य की सोचने-समझने की एवं निर्णय लेने की शक्ति उनके दिमाग के द्वारा लगाई जाने वाले अंदेशा पर निर्भर होता हैं।
शेयर बाजार में तेजी का अर्थ:-शेयर बाजार में जब लगाई पूँजी से ज्यादा के भाव मिलते हैं, उस समय को शेयर बाजार में तेजी या महर्ध कहते हैं।
शेयर बाजार में मंदी का अर्थ:-शेयर बाजार में जब लगाई पूँजी से कम के भाव मिलते हैं, उस समय को शेयर बाजार में मन्दी या समर्ध कहते हैं।
शेयर बाजार का अर्थ:-शेयर बाजार अर्थात् किसी व्यापार या व्यापारिक संस्था में लगाई गई पूँजी का निर्धारित भाग की खरीददारी और बेचान का कार्य किया जाता हैं, जिससे उनके भाव के निर्धारण के आधार पर खरीद एवं बेचान होता हैं। इस तरह से व्यापारिक संस्था या व्यापार में लगाई गई पूँजी के हिस्से में तेजी-मंदी भी नौ ग्रहों के असर से बच नहीं पाती हैं।
जब किसी भी मनुष्य को शेयर बाजार रुपी व्यापार या व्यापारिक संस्था में अपनी पूँजी को लगाना हो, तो अपनी जन्मपत्रिका और गोचर ग्रहों के अच्छी एवं मजबूत स्थिति के आधार पर फायदे और कमजोर स्थिति को ध्यान रखते हुए उस व्यापारिक संस्था में जब अपनी पूँजी का निवेश करना चाहिए, उस स्थिति का विचार करके व्यापार करने पर उस मनुष्य को इज्जत मिलने के साथ-साथ उस व्यापारिक संस्था में उस निवेश में फायदा प्राप्त किया जा सकता हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी के कारक ग्रह की भूमिका (The role of the planet due to the rise and recession in the stock market):-शेयर बाजार में तेजी-मंदी के बारे में नौ ग्रहों के गोचरवश के सम्बन्धों के आधार पर वस्तुओं और विषयों की वास्तविक स्थिति के बारे में बोध करके अपने ग्रहों की अनुकूलता के अनुसार शेयर्स के भावों से होने वाले फायदों को प्राप्त कर सकते हैं।
शेयर बाजार में पैसे कैसे लगाये और कमाए?:-जब भी किसी मनुष्य को शेयर बाजार में अपनी किस्मत को आजमाना होता हैं, तब उनको ग्रहों के हालात को जानकर शेयर बाजार में पैसे लगाना चाहिए, जिससे शेयर बाजार के द्वारा उनको लगाए गए पैसों से ज्यादा पैसे कमा सकें।
'ग्रहाधीनं जगत् सर्वम्'
अर्थात्:-सम्पूर्ण जगत की सभी तरह के जड़ और चेतन पदार्थ सहित समस्त व्यवहार में आने वाली वस्तुएँ और विचारणीय तथ्य आकाशमंडल में स्थित नौ ग्रहों जैसे-रवि, सोम, भौम, सौम्य, जीव, भृगु, मन्द, सैंहिकीय और शिखी आदि के असर से दबी होती हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी में रवि कारक ग्रह की भूमिका:-रवि ग्रह प्रतिदिन जीविका निर्वहण में किये जाने वाले कार्य का, संकट के समय मन की सहनशीलता, तेज, लम्बे समय तक, उन्नत रूप से उच्च बिन्दु तक बनने रहने का, सही रूप से संचालन क्षमता, स्वयं की प्रतिष्ठा एवं पराक्रम या प्रभाव या पैतृक रूप से अर्जित सम्पत्ति का कारक होता हैं।
शेयर मार्केट में भारी उलटफेर:-जब गोचर में रवि ग्रह एक ही राशि या घर में वक्री बुध (सौम्य) ग्रह के साथ बैठे होते हैं, तब शेयर बाजार के भावों में बहुत ही हलचल चलती हैं, जिससे मोल-भावों में भारी उलटफेर अर्थात् उथल-पुथल मच जाती हैं। कभी भाव तेज तो कभी कमजोर होता हैं। कभी भाव अचानक ही बहुत तेजी को एवं कभी एकदम भावों में गिरावट आ जाती हैं।
रवि ग्रह की मजबूत स्थिति:-जब जन्मकुण्डली या गोचर में रवि ग्रह अपनी स्वराशि सिंह में, अपनी उच्च मेष राशि, अपने दोस्त के घर में साथ हो या रवि ग्रह शुभ ग्रहों के साथ बैठा होता हैं या शुभ या अच्छे ग्रहो के द्वारा पूर्ण दृष्टि से देखते हो।
◆जब रवि ग्रह पहले, चौथे, सातवें एवं दशवें घर या पहले, पांचवें एवं नवें घर में से किसी भी घर में स्थित होता हैं, तब रवि ग्रह बहुत ही मजबूत और शुभ परिणाम देने वाले होते हैं।
◆जब किसी भी मनुष्य की जन्मकुण्डली या गोचर में जब रवि ग्रह बलवान होता हैं, तब मनुष्य के मन को एक जगह पर स्थिर करके उचित अपने पक्ष की बात के लिए प्रेरित करता हैं, जिससे मनुष्य डगमगाता नहीं हैं और मनुष्य को शेयर बाजार में होने वाले भारी उलटफेर या तेजी-मंदी के बारे में बोध करवाता हैं।
◆जब मेष राशि में सूर्य व बुध का मिलन होता हैं, तब शेयर बाजार को कुछ उछाल भी मिलता हैं। इस तरह रबड़, टायर, ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के शेयर कुछ संभलेंगे।
शेयर बाजार में मंदी में रवि कारक ग्रह की भूमिका:-जब रवि ग्रह बुरे ग्रहों के प्रभाव में होकर निर्बल और अशुभ स्थिति में हो, अपनी नीच तुला राशि में हो तथा रवि-सैंहिकीय और रवि-शिखि ग्रह के साथ बैठकर ग्रहण योग को बना रहा होता हैं, तब मनुष्य का मन एक जगह पर स्थिर नहीं रह पाता हैं, जिससे उसका मन डगमगा जाता हैं और सही-गलत का निर्णय नहीं कर पाता हैं। जिसके फलस्वरूप मनुष्य बिना सोचे-समझे शेयर बाजार में निवेश कर देते हैं, जिसका परिणाम शेयर बाजार में गिरावट के रुप में अपने शेयर के मोल-भाव में आर्थिक नुकसान को भोगना पड़ता हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी में सोम कारक ग्रह की भूमिका:-नौ ग्रहों में सबसे तेज गति से एक राशि को कम समय में अपनी गति के द्वारा चक्कर पूर्ण करने का कारक सोम ग्रह होता हैं। इस तरह से सोम ग्रह की गति बहुत अधिक होने से सबसे ज्यादा रोजाना शेयर बाजार में शेयरों के मोल-भाव में तेजी-मंदी के लिए जरूरी होता हैं। मस्तिष्क में शीघ्रता से अंदेशा लगाने के सामर्थ्य को दर्शाता हैं। चित्त, बुद्धि, तपस्वी एवं सामान्य या मातृ पक्षीय अर्जित सम्पत्ति का कारक होता हैं।
सोम ग्रह की मजबूत स्थिति:-जब जन्मकुण्डली या गोचर में सोम ग्रह अपनी स्वराशि कर्क में, अपनी उच्च वृषभ राशि, अपने दोस्त के घर में साथ हो या सोम ग्रह शुभ ग्रहों के साथ बैठा होता हैं या शुभ या अच्छे ग्रहो के द्वारा पूर्ण दृष्टि से देखते हो।
◆जब सोम ग्रह पहले, चौथे, सातवें एवं दशवें घर या पहले, पांचवें एवं नवें घर में से किसी भी घर में स्थित होता हैं, तब सोम ग्रह बहुत ही मजबूत और शुभ परिणाम देने वाले होते हैं।
◆जब सोम ग्रह मनुष्य के गोचर या जन्मकुण्डली में पूर्ण रूप से बलवान और शुभ स्थिति में होता हैं, तब मनुष्य का दिमाग एक जगह पर केन्द्रित रहता हैं, जिससे उस मनुष्य को शेयर बाजार में तेजी-मंदी के प्रति उचित निर्णय लेने में मदद करवाता हैं, जिससे मनुष्य अपने विवेक के द्वारा को फैसला लेने में सक्षम हो जाता हैं। मनुष्य के सोचने-समझने और निश्चय करने की मानसिक शक्ति और गोचर में ग्रहों की गति का काल की शुभता के शुभ इशारा प्राप्त होते हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी में मंगल या भौम कारक ग्रह की भूमिका:-शारीरिक बल,उत्साह, मन का एक जगह पर बने रहने की अभिवृद्धि, पुरुषार्थ, जिद, साहस व व्यापार से अर्जित सम्पत्ति का कारक होता हैं। मंगल के प्रभुत्त्व में पेट्रोलियम, हार्डवेयर, रंग, रसायन, रेलवे, भवन निर्माण सामग्री, ईट, कीटनाशक दवाएं आदि की खपत बढ़ जाती हैं। इस तरह जब-जब मंगल की स्थिति अच्छी होती हैं, तो उपरोक्त वस्तुओं के शेयर में बढ़ोतरी दर्ज की जाती है
शेयर के भावों में तेजी:-शेयर बाजार के लिए मगंल ग्रह को बहुत ही अच्छा माना जाता है। जब गोचर में भौम या मगंल अपनी स्वराशि मेष राशि या वृश्चिक राशि में होता हैं।
◆मगंल जब अपनी उच्च राशि मकर में अपनी गति से घूमता हुआ अपना चक्कर एक राशि में पूरा करता हैं, तो शेयर बाजार में शेयर के भावों में बढ़ोतरी होती हैं। शेयर के भाव में मगंल के कारण तेजी के साथ-साथ स्थिरता आती हैं।
◆अपने दोस्त के घर में साथ हो या भौम ग्रह शुभ ग्रहों के साथ बैठा होता हैं या शुभ या अच्छे ग्रहो के द्वारा पूर्ण दृष्टि से देखते हो।
◆जब भौम ग्रह पहले, चौथे, सातवें एवं दशवें घर या पहले, पांचवें एवं नवें घर में से किसी भी घर में स्थित होता हैं, तब भौम ग्रह बहुत ही मजबूत और शुभ परिणाम देने वाले होते हैं।
◆जब गोचर में भौम ग्रह जीव ग्रह के साथ एक ही जगह पर विराजमान होते हैं, तब शेयर बाजार में तेजी से सम्बंधित बिना मतलब की या निराधार मनगढ़ंत खबर का प्रचार होता हैं।
◆जब गोचर में भौम ग्रह मंद या शनि ग्रह के साथ एक ही जगह पर विराजमान होते हैं, तब शेयर बाजार में शेयर्स के भावों में बहुत ही तेजी की खबर मिलती हैं।
◆जब गोचर में रवि, भौम और मंद ग्रह के साथ शनि की राशि मकर में बैठा होता हैं, तब शेयर बाजार में शेयर्स के भावों में तेजी के साथ उछाल होगा।
◆जब गोचर में सोम, भौम और मंद ग्रह एक साथ किसी भी राशि में बैठा होता हैं, तब शेयर बाजार में शेयर्स के भावों में तेजी के साथ उछाल होगा।
शेयर बाजार में मंदी में मंगल या भौम कारक ग्रह की भूमिका:-जब गोचर में भौम ग्रह एवं सैंहिकीय ग्रह एक साथ किसी भी राशि में बैठा होता हैं, तब शेयर बाजार में शेयर्स के भावों में गिरावट का दौर शुरू हो जाता हैं।
◆मंगल के प्रभुत्त्व में पेट्रोलियम, हार्डवेयर, रंग, रसायन, रेलवे, भवन निर्माण सामग्री, ईट, कीटनाशक दवाएं आदि की खपत बढ़ जाती हैं। इस तरह जब-जब मंगल की स्थिति खराब होती हैं, तो उपरोक्त वस्तुओं के शेयर में कमी दर्ज की जाती है। इसी प्रकार जब मंगल की गति अतिचारी होती हैं तो बाजार में मंदी का रुख हो जाता हैं।
◆जब भौम अपनी नीच राशि में एवं मंद दो विपरीत ग्रहों का एक राशि में एक साथ बैठना अशुभ या बुरा होता है। दोनों ग्रहों का मेल होने के कारण उथल-पुथल का समय होता हैं। बुरे व धर्म के विरुद्ध अनैतिक कार्यों के बढ़ने से अपराधों में बढ़ोतरी होती हैं और मध्यम एवं श्रमिक वर्ग को महंगाई की मार का सामना करना पड़ता हैं, जिससे इन वर्गों को बहुत ही परेशानियों को झेलना पड़ता हैं। इसके साथ ही दूसरी चीजों पर भी इन दोनों ग्रहों के मिलने से असर पड़ता हैं।
◆जब मगंल व शनि का मिलन एक राशि में होता है तब वर्षा में कमी आती है। कहीं वर्षा ज्यादा होगी, तो कहीं सूखा पड़ता हैं। कम वर्षा के कारण खाद्यान्न के उत्पादन में कमी आती हैं खेती की पैदावार की कमी होती हैं जिससे महंगाई बढ़ने की संभावना बनती हैं।
◆जब मगंल व शनि का संयोग एक राशि में होता हैं, तब रुकावटें के साथ-साथ बिना मतलब के लड़ाई-झगड़े, आपसी टकराव, तनाव और बुरे फल की प्राप्ति होती हैं।
◆जब मन्द ग्रह व भौम ग्रह एक साथ कर्क राशि में बैठते हैं, जो कि सोम ग्रह की राशि होती हैं, जिससे शेयरों में गिरावट आती हैं।
◆जब मन्द ग्रह व भौम ग्रह एक साथ इकट्ठे होकर अपनी गति से चलते हैं, जो कि कर्क राशि भौम ग्रह होता हैं यह कर्क राशि भौम ग्रह की नीच की राशि होती हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी में बुध या सौम्य कारक ग्रह की भूमिका:-बुध ग्रह अच्छे-बुरे की परख, कार्यों में संलग्नता या कार्य कुशल, ख्याति, विद्वत्ता, कला में निपुणता, वाक्चातुर्य, विद्या में युक्ति संगत बुद्धि, व्यापार से अर्जित सम्पत्ति, गणित, मार्केटिंग एवं फाइनेंस से सम्बंधित, वाणिज्य एवं प्रबंध संकाय से सम्बंधित , सोचने-समझने, निश्चय करने की शक्ति और मन में उत्पन्न होने वाली कल्पनाओं की चाहत का कारक होता हैं।
◆जब जन्मकुण्डली या गोचर में बुध ग्रह अपनी स्वराशि मिथुन या कन्या राशि में, अपनी उच्च कन्या राशि में हो, अपने दोस्त के घर में साथ हो या सोम ग्रह शुभ ग्रहों के साथ बैठा होता हैं या शुभ या अच्छे ग्रहो के द्वारा पूर्ण दृष्टि से देखते हो।
◆जब बुध ग्रह पहले, चौथे, सातवें एवं दशवें घर या पहले, पांचवें एवं नवें घर में से किसी भी घर में स्थित होता हैं, तब बुध ग्रह बहुत ही मजबूत और शुभ परिणाम देने वाले होते हैं। जिससे मनुष्य को शेयर्स के भावों में फायदा मिलता हैं।
◆जब भी मनुष्य शेयर बाजार में शेयर्स को खरीदने-बेचने से पूर्वक अपनी जन्मकुण्डली या गोचर ग्रहों में बुध के हालात के बारे में जानकारी को प्राप्त करके ही अपना निवेश करना चाहिए, क्योंकि जब मनुष्य की सोचने-समझने एवं निश्चय करने की शक्ति के कारक बुध जब तक मजबूत स्थिति में नहीं हो, तो मनुष्य को निवेश नहीं करना चाहिए।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी में बुध या सौम्य कारक ग्रह की भूमिका:-जब गोचर ग्रहों में बुध ग्रह और शनि ग्रह अपनी गति से चलते हुए अगली राशि में भ्रमण नहीं करते हुए पीछे वाली राशि में भ्रमण करते हुए उस राशि में बैठे हो, तो मनुष्य को शेयर बाजार में किये गए निवेश या निवेश करने पर बहुत ज्यादा आर्थिक क्षति को भोगने की संभावना बन जाती हैं। इसलिए वक्री बुध ग्रह होने पर मनुष्य को अशुभ फल मिलता हैं।
◆जब गोचर ग्रहों में रवि, सौम्य, जीव और मंद ग्रह एक साथ इकट्ठे होकर एक जगह मिथुन राशि में बैठे होते हैं, तब शेयर बाजार में गिरावट का दौर शुरू हो जाता हैं, जिससे शेयर्स के भावों की तालिका (इंडेक्स) में भी मंदी अर्थात् गिरावट आ जाती हैं।
◆जब गोचर कुण्डली में बुध ग्रह सिंह राशि में प्रवेश करके उस राशि में बैठ जाते हैं, तब शेयर बाजार में शेयर्स के भावों की तालिका में गिरावट आती हैं।
◆जब गोचर में भृगु एवं मंद ग्रह सौम्य ग्रह की राशि मिथुन में प्रवेश करते हैं, तब शेयर बाजार में शेयर्स के भावों में गिरावट का दौर आ जाता हैं।
◆जब गोचर में रवि ग्रह बुध ग्रह की मिथुन राशि में और मंद ग्रह कन्या राशि में बैठे होते हैं, तब शेयर्स के भावों में गिरावट आती हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी में जीव या गुरु कारक ग्रह की भूमिका:-गुरु या जीव ग्रह प्रज्ञा बुद्धि, ज्ञान, इन्द्रिय निग्रह, श्रद्धा, विद्वत्ता, सर्वोन्नति, सद्गति, धारणात्मक बुद्धि, दूसरों के विचारों को भाँपना, व्यापार से अर्जित सम्पत्ति, उद्योग संबंधी जीविका निर्वाह के धंधे या वृत्तियों में बढ़ोतरी का कारक ग्रह होता हैं। रुपये-पैसों का प्रबंध करने एवं संग्रह को नियंत्रित का कारक होता हैं।
◆जब किसी भी वस्तु या चीजों की पैदावार ज्यादा होती हैं, तब उन उत्पादित वस्तुओं या चीजों के भावों में कमी आती हैं। जब भी जीविकोपार्जन के लिए नवीन उद्योग धंधा या पेशा का कार्य करने के लिए जीव या गुरु ग्रह की शुभता एवं अनुकूलता होनी जरूरी होती हैं।
◆गोचर में जीव या गुरु ग्रह एक राशि में तेरह मास अर्थात् एक वर्ष एक माह तक रहते हैं, उसके बाद ही दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, इस तरह जीव या गुरु ग्रह ज्यादा समय रहते हुए, शेयर बाजार में तेजी-मंदी को प्रदान करने वाला होता हैं और जब जीव ग्रह बारह अंश से तीस अंश तक होता हैं, तब अपना असर ज्यादा करते हैं।
◆जब गोचर में मेष, सिंह, वृश्चिक और मकर राशि में मंद ग्रह के साथ जीव या गुरु ग्रह अपनी सामान्य गति चलते हुए अपनी दिशा की बजाए पीछे की राशि में चलने वाला होकर बैठा हो, तो शेयर बाजार में बढ़ोतरी करके भावों की तालिका में सहसा ऊपर की उठा देते हैं।
◆जब गोचर में वृषभ, कर्क, सिंह, तुला, धनु, मकर और कुंभ राशि में जीव या गुरु ग्रह बैठा हो, तो शेयर बाजार में शेयर्स के मोल-भावों में बढ़ोतरी लाते हैं।
◆जब जीव ग्रह और मंद ग्रह एक साथ एक ही राशि या घर में बैठे होते हैं अथवा एक-दूसरे को अपनी पूर्ण दृष्टि के द्वारा देखते हैं, तब शेयर बाजार में बढ़ोतरी होकर शेयर्स के मोल-भावों में तेजी आती हैं।
◆जब गुरु या जीव दूसरे स्थान धन-संपदा अर्थात् रुपये-पैसों, दौलत आदि में बैठा होता हैं, तब मनुष्य को बहुत ही रुपये-पैसों को प्रदान करता हैं, क्योंकि जीव ग्रह जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में निरन्तर बढ़ोतरी और बहुत रुपये-पैसों सहित ऐश्वर्य में कामयाबी का कारक ग्रह होता हैं।
◆जब जन्मकुण्डली या गोचर में पांचवें घर जो कि ज्ञान, बुद्धि, विद्या, संतान का हैं, आठवां घर जो कि आयु, दुर्घटना आदि का हैं और ग्यारहवां घर रुपये-पैसों को कमाने, फायदा आदि का होता हैं, इन घरों में से किसी भी घर में जब जीव ग्रह बैठा होता हैं, तब उस मनुष्य को बहुत ज्यादा रुपये-पैसों को प्रदान करने में अपनी अहम भूमिका निभाने में किसी भी तरह झिझक नहीं रखते हैं।
◆जब गोचर में रवि ग्रह जीव ग्रह की मीन राशि में हो और जीव एवं मंद ग्रह अपनी गति से चलते हुए अगली वाली राशि में जाकर पिछली वाली राशि में जाने वाले होने पर शेयर बाजार के शेयर्स के भावों में शीघ्रता से गिरावट आने लगती हैं और शेयर्स के भावों की तालिका (इंडेक्स) में गिरावट स्पष्ट रूप से गिरने लगते हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी में शुक्र या भृगु कारक ग्रह की भूमिका:-भृगु ग्रह व्यापार, सम्पत्ति, चाँदी, धनकोश, रहस्यपूर्ण बातें, चल सम्पत्ति नकदी, शेयर बाजार में शेयर्स के मोल-तोल के धंधे में सबसे अधिक उछाल देने वाला का कारक होता हैं। एक राशि को पूर्ण रूप से भोगते हुए दूसरी राशि में प्रवेश करने में भृगु ग्रह को पच्चीस से छब्बीस दिन का समय लगता हैं और जब भृगु ग्रहः बारह से तेबीस अंशों के मध्य में होता हैं, तब अपना असर ज्यादा प्रदान करने वाला होता हैं।
◆जब गोचर में भृगु ग्रह अपनी स्वराशि तुला और मित्र राशि कन्या में स्थित होता हैं, तब शेयर्स के भावों में बढ़ोतरी या तेजी प्रदान करता हैं।
◆भृगु ग्रह ही बाजार की तेजी-मंदी के अनुमान के आधार पर ज्यादा फायदा के लिए खरीद-फरोख्त के लिए सट्टा के रूप में एवं कंपनी की पूर्ण पूंजी के भाग में से जितना भाग पर निवेश करने पर प्राप्त होता हैं, वह शेयर्स होता हैं। शुक्र ग्रह ही इन क्षेत्रों में आर्थिक रूप से शीघ्रता से फायदा प्रदान करवाने में सहायक होता हैं।
◆जब गोचर वश कर्क राशि में भृगु भ्रमण करता हैं, तब शेयर बाजार के शेयरों के भावों में उछाल के साथ तेजी करवाता हैं।
◆जब गोचर में मेष, सिंह, वृश्चिक और मकर राशि में भृगु अपनी गति से उल्टा चलते हुए बैठा हो, तो शेयर बाजार में शेयर्स के मोल-भावों में बढ़ोतरी होती हैं।
◆जब गोचर में भृगु अपनी गति से विपरीत दिशा में चलते हुए मंद ग्रह के साथ एक ही जगह पर बैठा होता हैं, तो शेयर बाजार के शेयर्स के भावों में बढ़ोतरी करवाता हैं।
◆जब गोचरवश धनु राशि में भृगु अपनी गति से प्रवेश करता है, तो उस समय पंचमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक शेयर बाजार में भावों में तेजी प्रदान करता हैं।
शेयर बाजार में मंदी में शुक्र या भृगु कारक ग्रह की भूमिका:-निम्नलिखित रूप में निभाता हैं।
◆जब गोचर में भृगु अपनी गति से चलते हुए मंद ग्रह के साथ एक ही जगह पर बैठा होता हैं, तो शेयर बाजार में मंदी का दौर शुरू हो जाता हैं।
◆जब गोचरवश कुंभ राशि में भृगु ग्रह स्थित हो, रवि ग्रह के साथ मंद ग्रह बैठा हो अथवा रवि के बिम्ब के असर से डूबा होता हैं, तब शेयर बाजार के भावों में तेजी के साथ मंदी का दौर होता हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी में शनि या मंद कारक ग्रह की भूमिका:-शनि ग्रह शारीरिक परिश्रम से उपार्जित या वेतन के रूप में अर्जित, क्रय-विक्रय की वस्तु, पतन, स्थिरता, मोह, चित्त की कठोरता, लोभ, विषमता आदि का कारक होता हैं।
शनि ग्रह मकर एवं कुम्भ राशि का स्वामी होता हैं, क्योंकि शनि ग्रह की अपनी राशि होती हैं। शनि ग्रह जब तुला राशि में होते हैं, तब वह राशि उनकी उच्च राशि होती हैं।
◆जब शनि ग्रह सिंह राशि में स्थित होते हैं, उसी समय पर मगंल अपनी नीच राशि कर्क को छोड़कर अपनी मित्र सिंह राशि में प्रवेश करता हैं और शनि से अपना मिलन करता हैं। सिंह राशि में पहले से स्थित शनि के कारण इस राशि में दो क्रूर ग्रहों मगंल-शनि का मिलन होता हैं।
◆जब मंद ग्रह अपने शत्रु राशि अर्थात् सूर्य की सिंह राशि और भौम की मेष एवं वृश्चिक राशि में बैठा होता हैं, तब शनि ग्रह अपनी गति से चलते हुए अगली वाली राशि में चलने की बजाह पिछली वाली राशि में चलने लगता हैं, जिसे वक्री कहा जाता हैं। जब मंद ग्रह गोचरवश वक्री होता हैं, तब शेयर बाजार में बढ़ोतरी आती हैं।
शनि ग्रह की साढ़ेसाती अथवा ढय्या का प्रभाव:-जब गोचरवश या जन्मकुण्डली के अनुसार मनुष्य को शनि ग्रह की साढ़ेसाती अथवा ढय्या की दशा शुरू होती हैं, उस समय मनुष्य को शेयर बाजार में शेयर्स को खरीदते-बेचते समय विशेष रूप से सचेत रहना चाहिए।
◆जब गोचरवश जीव ग्रह के साथ मंद की युति होती हैं अथवा जीव-मंद ग्रह की परस्पर अच्छी दृष्टि होती हैं, तब कारखाना आदि के व्यवसाय में मजबूती से पकड़ होती हैं।
◆जब गोचरवश भौम एवं मंद दोनों ग्रह वक्री होते हैं, तब अयस एवं इस्पात या पक्का लोहे से सम्बंधित शेयरों के भावों में बढ़ोतरी आती हैं।
◆जब गोचरवश सौम्य एवं मंद दोनों ग्रह वक्री होते हैं, तब शेयर बाजार में गिरावट के साथ नुकसान को भोगना पड़ता हैं।
◆जब गोचरवश मंद वक्री होकर गुरु ग्रह की धनु राशि में अपनी चाल से प्रवेश करता हैं, तब शेयर बाजार में शेयर्स के भावों की तालिका में गिरावट आकर मंदी का दौर निश्चित होता हैं।
◆जब गोचरवश किसी भी राशि में मंद, राहु अथवा मंद, रवि या सोम, भौम-मंद में स्थित होते हैं, तब शेयर बाजार में वस्तुओं के भावों में बढ़ोतरी के साथ तेजी का दौर होता हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी में सैंहिकीय-शिखि कारक ग्रह की भूमिका:-राहु-केतु परामनो विज्ञान, सम्पूर्ण गुप्त रहस्य, यश, प्रतिष्ठा, परिवर्तन, अज्ञात भय, हठ धर्मिता, आकस्मिकता ,आकस्मिक उन्नति, शेयर से सम्बन्धित सम्पत्ति आय, स्थान परिवर्तन, भाग्य, सम्पूर्ण ऐश्वर्य आदि के कारक होते हैं, जब राहु गोचर या जन्मकुण्डली में मेष, वृश्चिक, कुम्भ, कन्या, वृषभ और कर्क राशि में, दशम भाव में होता हैं और केतु कन्या, मीन, वृषभ, धनु राशि, उत्पात एवं रात्रि के समय की स्थिति में होता हैं, तब मजबूत एवं बली होते हैं हैं। जब मनुष्य की जन्मकुण्डली में बलवान और मजबूत स्थिति में होकर अनुकूल होते हैं, तब मनुष्य शेयर बाजार में कामयाबी की ऊंचाई पर छूता हैं। राहु ग्रह के द्वारा शेयर बाजार में तेजी-मंदी के विषय में सटीक अंदेशा और शीघ्रता से परिवर्तन का कारक होता हैं।
जन्मकुण्डली में शेयर मार्केट के कारक भाव:-जन्मकुण्डली में बारह भाव में से निम्नलिखित भाव शेयर मार्केट में कामयाबी दिलाने अहम योगदान प्रदान करते हैं।
1.पहला भाव या शरीर स्थान का घर:-पहला भाव शरीर के सामर्थ्य, बुद्धि, यश, विवेकशक्ति, तेज आदि का कारक होता हैं, जिससे मनुष्य की शारीरिक कार्य करने की क्षमता के साथ जीवन के प्रत्येक जगह पर उचित रूप से अंदेशा के बारे में जानकारी प्रदान करता हैं।
2.पांचवा भाव या ज्ञान, बुद्धि का घर:-पांचवां घर बुद्धि, सोचने-समझने एवं किसी भी विषय पर उचित निर्णय लेने, प्रतिभा, सट्टा-लॉटरी, मन में आने वाला सहज -स्वाभाविक ज्ञान जिससे कोई भी बात की अनायास समझ में आ जाती हैं आदि का कारक होता हैं, किसी भी इंडेक्स धारी व्यापारियों के समूह में भागीदारी के रूप में खरीदने-बेचने की जगह हैं। बाजारों और एक्सचेंजों के एक समूह के रूप में जनसाधारण रूप से खुले मंच में इश्तहार से मुक्त संघटित कंपनियों के शेयरों की खरीद, बिक्री और जारी करने की लगातार क्रिया-कलाप होते हैं।विदेशी मुद्रा का कारक होने से विदेशों मुद्रण किस तरह होगा आदि की जानकारी भी प्राप्त करवाता हैं।
3.सातवां घर:-कुंडली में सप्तम भाव लाभ-हानि, व्यापार-व्यवसाय, साझेदारी, लगाई हुई पूँजी में लाभ, स्वतंत्र कार्य और विदेशियों के बारे में जानकारी का कारक होता हैं।
4.आठवां घर:-आठवां घर संयोगवश रुपये-पैसों का फायदा, बिना कोशिश के फायदे और नुकसान का कारक होता हैं, शेयर बाजार में हाथों-हाथ मिलने वाले फायदे का घर होने से आठवें घर की अहम भूमिका रहती हैं।
5.नवा घर:-नवां घर संतोष, सम्पन्नता, विकास और नसीब का कारक होता हैं, जब जन्मकुण्डली में नसीब घर एवं नसीब हर घर के स्वामी शुभ हालात में होते हैं, तब नसीब का साथ मिलता हैं और शेयर बाजार में बुलंदी की प्राप्ति होती हैं और कामयाबी भी मिलती हैं।
6.दशवा घर:-दशवां घर मान-सम्मान, अधिकार, कार्य सिद्धि, कर्म सिद्धि, जीविका निर्वहन के पेशे या नौकरी का कारक होता हैं, शुभ-अशुभ स्थिति के आधार पर जीवन निर्वाह के पेशे या नौकरी की स्थिति के द्वारा तरक्की को मालूम किया जा सकता हैं।
7.ग्याहरवां घर:-ग्यारहवां घर सम्पूर्ण रुपये-पैसे आने वाले लॉटरी लाभ आदि के माध्यम का विचार, जीवन में जीविका निर्वाह को चलाने के समस्त माध्यमों, मन की सोची हुई कामना पूर्ति और मिलने वाले फायदों का कारक होता हैं।
◆जब पांचवा भाव एवं पांचवे घर का मालिक शुभ ग्रहों के साथ, शुभ ग्रहों की दृष्टि के प्रभाव से शुभ स्थिति में होता हैं, तब शेयर मार्केट में सही निर्णय मनुष्य ले लेता हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के पांचवे घर एवं उसके मालिक ग्रह और नवें घर एवं उसके मालिक ग्रह के बीच के सम्बन्ध के द्वारा ही मनुष्य की किस्मत का साथ मिलता हैं। जिससे शेयर बाजार के क्षेत्र में कामयाबी पाने में मददकारी होता हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के दूजे घर के स्वामी एवं ग्यारहवें घर के स्वामी के बीच में युति, दृष्टि या राशि परिवर्तन के योग बनते हैं, तो भी स्टॉक मार्केटिंग में मनुष्य को खूब रुपये-पैसों के मिलने की आशा होती हैं।
◆जब सप्तम भाव का स्वामी शनि होकर बारहवें भाव में बैठ जाता हैं, तब शेयर मार्केट पर विदेशियों का नियंत्रण ज्यादा होता है। जिससे अर्थव्यवस्था पर विदेश नियंत्रण करता हैं। इस तरह यह हो सकता हैं कि विदेशी निवेशक जब चाहते हैं, शेयर खरीदकर और फिर बेचकर शेयर बाजार में हलचल मचा सकते हैं। जिससे छोटे निवेशकों को नुकसान भोगना पड़ सकता है।
शेयर बाजार में निश्चित रूप से कामयाबी एवं निवेश में फायदे के ग्रहों के ज्योतिषीय योग:-ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के जुड़ने, दृष्टि या एक-दूसरे के साथ राशि बदलने के आधार पर ज्योतिषीय योग बनते हैं, जब मनुष्य की जन्मकुंडली या गोचरवश शुभ ग्रहों के मेल या सम्बन्ध बनते हैं, तो निश्चित रूप से कामयाबी और शेयर बाजार में निवेश करने पर फायदा मिलते हैं, जो निम्नलिखित ज्योतिषीय योग हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के पहले अर्थात् शरीर के घर में पहले घर का मालिक और जीव ग्रह बैठा होता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में कामयाबी की बुलंदी को छूते हुए शोहरत मिलती हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के दूजे घर का मालिक भौम अपनी उच्च राशि मकर में और ग्यारहवें घर का मालिक ग्यारहवें घर में बैठा होता हैं और अपनी पूर्ण दृष्टि के द्वारा पांचवें घर को देखता हो, तब मनुष्य को शेयर बाजार में कामयाबी प्रदान करते हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के दशवें घर में सौम्य ग्रह और पांचवें घर का मालिक सोम एक साथ बैठे होते हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार के कारोबार या क्रय-विक्रय के काम-धंधे से सम्बंधित सभी तरह के फायदे प्राप्त होते हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के नवें घर का मालिक भौम अपनी उच्च राशि मकर में और ग्यारहवें घर का मालिक ग्यारहवें घर में बैठा होता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार के कारोबार में शेयर्स के क्रय-विक्रय करने पर कामयाबी प्रदान करते हैं।
शेयर बाजार में जल्दी से कामयाबी के योग:-जब जन्मकुण्डली में पहले, दूजे, पांचवें, दशवें और ग्याहरवें घर का युति, दृष्टि या राशि बदलाव का मेल होता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में जल्दी से अपने रोजगार की स्थिति को व्यवस्थित करके बुलंदी को छूते है।
ज्यादा रुपये-पैसों की प्राप्ति के योग:-जब जन्मकुण्डली के पांचवें घर एवं पांचवे घर के मालिक और दशवें घर एवं दसवें घर के मालिक का एक साथ बैठना, एक-दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखना या एक-दूसरे से राशि परिवर्तन करने के योग बनता हैं, तब मनुष्य शेयर बाजार के क्षेत्र में अनायास ही रुपये-पैसों को कमाता हैं।
◆जब जन्मकुण्डली में दूजे, पांचवें, नवें और ग्याहरवें घर का युति, दृष्टि या राशि बदलाव का मेल होता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में जल्दी से अपने रोजगार की स्थिति को व्यवस्थित करके कामयाबी की ऊंचाई को छूते हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के दूजे और ग्यारहवें घर के स्वामी का राशि बदलाव करने के योग बनते हैं, तब शेयर बाजार के क्षेत्र में कामयाबी की शोहरत को प्राप्त होती हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के पहले, दूजे, पांचवें और नौवें घर में से किसी भी घर में जब जीव ग्रह बैठा होता हैं, तब शेयर बाजार में शेयर्स और स्टॉक की जगह पर कामयाबी एवं शौहरत की प्राप्ति होती हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी के योग:-जब जन्मकुण्डली के आठवें घर में शीघ्रता से अपनी राशि बदलने वाला सोम ग्रह बैठा होता हैं, तब शेयर बाजार के मोल-भावों के उतार-चढ़ाव के विषय होने वाले फायदे-नुकशान की सूचना मिल जाती हैं।
ज्यादा रुपये-पैसों की प्राप्ति के योग:-जब जन्मकुण्डली के पहले, चौथे, सातवें, नवें एवं दशवें घर में सोम ग्रह भौम ग्रह के साथ बैठा होता हैं, तब महालक्ष्मी योग बनता हैं, जिससे मनुष्य को शेयर बाजार में तेजी के द्वारा ज्यादा धन की प्राप्ति होती हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के किसी भी घर में सोम ग्रह भौम ग्रह के साथ बैठा होता हैं और साथ ही जीव ग्रह, सौम्य ग्रह या सैंहिकीय ग्रह में से कोई भी ग्रह ग्यारहवें घर में बैठा होता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में तेजी के द्वारा अधिक धन अर्जित करने के योग बनते हैं।
◆जब जन्मकुण्डली में पांचवें, नवें और ग्यारहवें घर के मालिक ग्रह जब पहले, पांचवें, नवें घर या चतुर्थांश में बैठे होते हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में कामयाबी की बुलंदी को प्रदान करवाते हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के पहले, पांचवें एवं नवें घर में या चतुर्थांश में जीव और सैंहिकीय एक साथ बैठे होते हैं, तब मनुष्य शेयर बाजार से फायदा को पाने के लिए धन या पूँजी लगा सकते हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के पहले, पांचवें एवं नवें घर में या चतुर्थांश के मालिक ग्रह जीव और सैंहिकीय के एक साथ बैठे होते हैं, तब मनुष्य शेयर बाजार में मनुष्य को कामयाबी दिलाने में सहायक होता हैं।
◆जब जन्मकुण्डली में पांचवें घर का मालिक एवं चौथे घर का मालिक एक ही जगह पर बैठे होते हैं और चतुर्थांश अथवा पहले, पांचवें या नवें घर में से किसी भी घर में बैठे होते हैं, तो मनुष्य शेयर बाजार में अपने रुपये-पैसों को लगाकर बहुत अधिक फायदा प्राप्त कर सकते हैं।
शेयर बाजार में निवेश करने पर नुकसान प्रदान करने में बुरे या अशुभ ग्रहों के सम्बन्ध के ज्योतिषीय योग:-निम्नलिखित हैं।
◆जब मनुष्य की जन्मपत्रिका में सोम ग्रह बुरे ग्रहों से युति, दृष्टि या राशि बदलाव के द्वारा कमजोर हालात में होता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में अपनी पूँजी को नहीं लगाना चाहिए।
◆जब मनुष्य की जन्मपत्रिका में भौम ग्रह अपनी नीच मकर राशि में या जीव ग्रह अपनी नीच कर्क राशि में या नवमांश कुण्डली में बुरे ग्रहों से युति, दृष्टि या राशि बदलाव के द्वारा कमजोर हालात में होता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में अपनी पूँजी को नहीं लगाना चाहिए। वरना उन मनुष्यों को नुकसान भोगना पड़ता हैं।
◆जब मनुष्य की जन्मपत्रिका के पांचवें और ग्यारहवें घर में सैंहिकीय ग्रह और शिखि ग्रह बैठे होते हैं, तब मनुष्य के द्वारा शेयर बाजार में पूँजी लगाने पर मनुष्य को रुपये-पैसों की प्राप्ति होती हैं, लेकिन बिना मतलब के रुपये-पैसे भी खर्च होते हैं।
◆जब जन्मपत्रिका या गोचरवश दूजे, पांचवें, दशवें घर में आठवें घर में बैठे होते हो,
◆जब दूजे घर का, पांचवें का, दशवें घर का मालिक ग्रह का सम्बन्ध आठवें घर से बनता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में अपनी पूँजी को निवेश नहीं करना चाहिए, अन्यथा जो पूँजी लगाई जाती हैं, उस पूँजी से घाटा भोगना पड़ता हैं।
◆जब जन्मपत्रिका के छठे, आठवें या बारहवें घर में पहले घर, नवें घर या ग्यारहवें घर का मालिक ग्रह में से कोई भी बैठा होता हैं, तो मनुष्य को शेयर बाजार में निवेश करने से बचना चाहिए, यदि निवेश भी कर देते हैं, तो उसके बाद दुबारा निवेश के रूप में पूँजी नहीं लगानी चाहिए।
◆जब जन्मपत्रिका के पांचवें, नवें या ग्यारहवें घर का मालिक तीजे, छठे, आठवें और बारहवें घर का मालिक होता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में शेयर ट्रेडिंग में अपनी पूंजी को लगाते हैं, लेकिन उन मनुष्य को फायदा नहीं होता हैं।
◆जब जन्मपत्रिका के पांचवें, नवें या ग्यारहवें घर या दूजे घर का मालिक अपनी गति से चलते हुए विपरीत दिशा के रूप चलने वाले होते हैं या पहले, पांचवें या नवें घर में अथवा बुरे एवं पापी ग्रहों के साथ बैठे होते हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में नुकसान की प्राप्ति हो सकती हैं।
◆जब मनुष्य की जन्मपत्रिका के पहले, पांचवें या नवें घर अथवा चतुर्थांश में एक भी ग्रह नहीं बैठा होता हैं, तब मनुष्य को शेयर बाजार में या शेयर ट्रेडिंग में अपनी पूँजी का दांव नहीं लगाना चाहिए।
शेयर बाजार में निवेश कब शुरू करना चाहिए?:-जो भी मनुष्य शेयर बाजार में निवेश करनी की सोचते हैं, उन मनुष्यों को अपनी जन्मकुण्डली को किसी जानकार योग्य ज्योतिषी को दिखाकर उचित विश्लेषण करवाना चाहिए, ज्योतिषी के द्वारा जन्मकुण्डली के विश्लेषण के आधार पर ही शेयर बाजार में निवेश करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में जन्मपत्रिका एवं गोचरवश के वर्णित योगों को ध्यान में रखते हुए निवेश शेयर बाजार में करना चाहिए।
शेयर बाजार में निवेश करने का समय:-मनुष्य को अपनी जन्मपत्रिका के पांचवें, नवें, दशवें अथवा ग्यारहवें घर के मालिक की दशा जैसे-महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतदशा आदि के समय में शेयर बाजार कारोबार में शेयर्स के क्रय-विक्रय करने पर फायदा प्राप्त होता हैं।
◆जब जन्मकुण्डली और गोचरवश में दूजे, पांचवें, नवें, दशवें और ग्याहरवां घर पर असर होता हैं, तब शेयर बाजार में शेयर्स के क्रय-विक्रय करने पर फायदा और कामयाबी मिलती हैं।
◆जब जन्मकुण्डली के आठवें घर का स्वामी जहां बैठा होता हैं और आंठवें घर के मालिक के साथ बैठे ग्रहों के योग से भी एकाएक शेयर बाजार में निवेश से फायदा मिलता हैं।
शेयर बाजार में दैनिक तेजी-मंदी या उछाल-गिरावट का आकलन या शेयर बाजार पर चंद्र-मंगल का साया:-सोम या चन्द्रमा ग्रह के गोचर से शेयर बाजार में दैनिक तेजी-मंदी का आकलन लगाया जाता है। भौम ग्रह के मिलन जब चन्द्रमा या सोम ग्रह से होता हैं, तब 'महालक्ष्मी योग' बनता हैं। अतः धन को पाने के लिए सोम ग्रह व भौम ग्रह का योग, एक-दूसरे की दृष्टि, अन्य ग्रहों की युति, षडाष्टक जैसे-संबंध अत्यंत प्रभावशाली होते हैं।
बाजार की लंबी रुख को देखने के लिए मन्द, जीव, सैंहिकीय, शिखी जैसी धीमी गति के ग्रहों का भी गोचर देखना चाहिए। भौम ग्रह एक राशि में सामान्यतः पैंतालीस दिवस तक रहता है, परन्तु जब वक्री होने पर छः या सात मास तक एक ही राशि में विचरण करता हैं। प्रत्येक तीन-चार साल में भौम ग्रह एक बार वक्री होता हैं।
बारह राशियों पर चंद्र-मंगल का प्रभाव:-शेयर बाजार के शेयर्स के तेजी-मंदी का बारह राशियों में निम्नलिखित रूप में होता हैं।
मेष राशि:-मेष राशि मंगल की स्वयं की राशि होती हैं। यह विषम, क्रूर व बंध्य राशि हैं। अतः मेष राशि का मंगल सात अंश तक बाजार में तेजी और सात से तीस अंश के बीच तक होता हैं, तब मंदी करता है।
वृषभ राशि:-वृषभ राशि भृगु ग्रह की राशि होती है। अतः भौतिक सुख प्रदान करती है। वृषभ राशि में बैठा हुआ मंगल बाजार में तेजी दर्शाता हैं।
मिथुन राशि:-मिथुन राशि वायु तत्त्व की द्विस्वभाव राशि होती है। इस राशि में बैठा हुआ मंगल कभी बाजार में तेजी तो कभी गिरावट लाता हैं। सोम ग्रह जब मेष राशि या धनु राशि में और भौम ग्रह यदि मिथुन राशि में हो तो बाजार में तेजी आती है।
कर्क राशि:-सोम ग्रह की स्वयं की राशि होती हैं। लेकिन कर्क राशि में भौम ग्रह नीच हो जाता हैं। अतः यह बाजार में मंदी का रुख कराता हैं।
सिंह राशि:-सिंह राशि बंध्य, लेकिन रवि की स्वयं की राशि हैं रवि और भौम ग्रह एक-दूसरे के साथ दोस्ती रखते हैं। अतः यह बाजार को तेजी की ओर ले जाने प्रारम्भ करता है।
कन्या राशि:-कन्या राशि सौम्य ग्रह की उच्च की राशि होती हैं। सौम्य व्यापार का कारक हैं। अतः कन्या राशि में बैठा भौम बाजार में तेजी लाता हैं।
तुला राशि:-तुला राशि वायु तत्त्व की राशि होती है। तुला राशि में बैठा हुआ भौम ग्रह जब पन्द्रहरा अंश को पार कर लेता हैं, तो मंदी का दौर आता हैं।
वृश्चिक राशि:-वृश्चिक राशि के मालिक स्वयं भौम ग्रह होते हैं। जब अपनी ही राशि में बैठ जाते हैं तो उचित फलदायक हो जाते हैं। अतः वृश्चिक राशि का भौम ग्रह बाजार में तेजी को लाते हैं।
धनु राशि:-धनु राशि द्विस्वभाव, बृहस्पति तथा दोस्ती की तरह स्वभाव की राशि हैं। अतः धनु राशि का भौम ग्रह बाजार में तेजी लाता हैं। हालांकि सोम की स्थिति अच्छी नहीं होने पर कई बार बाजार में मंदी भी आती हैं।
मकर राशि:-मकर राशि में भौम ग्रह उच्च के हो जाते हैं। अतः मकर राशि में बैठकर भौम ग्रह बाजार में भावों में तेजी को बढ़ाते हैं।
कुंभ राशि:-कुंभ राशि बंध्य व विषम स्वभाव की राशि होती हैं। अतः कुंभ राशि का भौम ग्रह बाजार में मंदी को लाता हैं।
मीन राशि:-मीन राशि जलीय और फलदायक होती हैं। सोम ग्रह जब कन्या, धनु व मीन राशियों में भौम ग्रह के प्रभाव में होता है तो बाजार में तेजी का रुख करता हैं।
प्राचीन काल के ऋषि-मुनियों के द्वारा रचित ज्योतिषीय योगों में शेयर बाजार अर्थात् वस्तुओं के तेजी-मंदी से सम्बंधित ग्रहों के संयोग से बनने वाले निम्नलिखित योग हैं, जिनके द्वारा शेयर बाजार के शेयर्स के भावों के बारे में उचित जानकारी मिल जाती हैं।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी से सम्बंधित प्रश्नशास्त्र की प्रश्नकुण्डली के योग:-जब मनुष्य को उसका जन्म समय ज्ञात नहीं होता हैं। यदि मनुष्य शेयर बाजार में निवेश करने की इच्छा हो, तब उस मनुष्य को किसी विद्वान ज्योतिषी के पास जाकर अपनी प्रश्नकुण्डली बनवाकर उस ज्योतिषी के द्वारा बताये अनुसार शेयर बाजार में निवेश करना चाहिए।
प्रश्नशास्त्र की भाषा में तेजी-मन्दी को अलग-अलग नाम दिए हैं। तेजी को महर्ध और मन्दी को समर्ध कहते है।
प्रश्नकुण्डली में बनने वाले तेजी-मंदी के ज्योतिषीय योग:-निम्नलिखित हैं।
◆जब गोचर कुंडली में उच्च राशि या मित्र राशि में शुभग्रह जितने दिन लग्न में रहता हैं, उतने समय तक समर्ध या मन्दी रहती हैं।
प्रश्नकुण्डली में बनने वाले तेजी के ज्योतिषीय योग:-निम्नलिखित हैं।
◆उच्च राशि या मित्र राशि में कोई पापग्रह जितने दिन लग्न में रहता हैं उतने दिनों तक महर्ध या तेजी रहती हैं।
◆यदि उक्त दिन चन्द्रमा पापग्रह या शत्रु ग्रहों से दृष्ट या युक्त हो तो उस मास में महर्ध या तेजी रहता हैं।
◆यदि निर्बल लग्न अपने स्वामी ग्रह से दृष्ट या युक्त हो और केन्द्र स्थानों में सभी पापग्रह हो तो वस्तु का महर्ध कहना चाहिए।
◆इसी प्रकार पापग्रह लग्न या छठे स्थान में जितने समय तक पापग्रह से युक्त या दृष्ट रहे उतने दिनों तक वस्तु का महर्ध रहता हैं।
प्रश्नकुण्डली में बनने वाले मंदी के ज्योतिषीय योग:-निम्नलिखित हैं।
◆जिस महीने की पूर्णिमा या अमावस्या को चन्द्रमा शुभग्रहों या मित्रग्रहों से युक्त या दृष्ट हो उस महीने में समर्ध या मन्दी रहता हैं।
◆बलवान लग्नेश से दृष्ट या युक्त हो और केंद्र स्थानों में सभी शुभग्रह हो तो वस्तु का समर्ध होता हैं।
शेयर बाजार में इन्वेस्ट या निवेश कैसे करे? या प्रश्नकुण्डली में बनने वाले शेयर बाजार में शेयर्स को खरीदने (क्रय) और बेचने (विक्रय) से लाभ विचार के ज्योतिषीय योग:-निम्नलिखित हैं। क्रय-विक्रय या व्यापार के प्रश्न में तेजी-मन्दी का विचार करना आवश्यक होता है। अतः ज्योतिषी को सर्वप्रथम इसका विचार कर फिर खरीदने और बेचने के योगों के अनुसार क्रय-विक्रय की सलाह देनी चाहिए।
◆प्रश्नकुंडली में लग्नेश खरीदने वाला और लग्नेश बेचने वाला होता हैं। लग्न के बलवान होने पर समर्ध-महर्ध के अनुसार खरीदना और लाभ स्थान के बलवान होने पर बेचना चाहिए।
◆प्रश्न के समय लग्नेश और सप्तमेश का इत्थशाल चन्द्रमा के सहयोग से हो तो खरीद करना लाभप्रद होता है और जब उन दोनों में ईसराफ योग हो तो बेचना लाभदायक होता हैं।
◆शुभ समर्ध में लग्न बलवान होने पर प्रश्नकर्ता को वस्तु खरीदनी चाहिए। इस योग में खरीदी गयी वस्तु को आगे चलकर बेचने से लाभ होता हैं।
◆शुभ समर्ध के साथ लाभ स्थान बलवान हो और लाभेश उच्च या मित्र राशि में बैठा हो या लाभ स्थान पर पूर्ण चन्द्रमा और गुरु की दृष्टि हो तो व्यक्ति को वस्तु बेचनी चाहिए।
◆किन्तु महर्ध में कभी वस्तु को तुरन्त नहीं बेचना चाहिए। क्योंकि उस समय तेजी का रुख होता है। उस समय वस्तु रोकने से लाभ होता हैं।
◆प्रश्न के विषय में दक्षिण भारतीय विद्वानों का स्थान महत्वपूर्ण है। अब कुछ दक्षिण भारतीय प्रश्न-नियम भी यहां शास्त्रों से संग्रह करके बताएं जा रहे हैं।
◆प्रश्न लग्न के साथ आरूढ़ लग्न, पृच्छक की चेष्टा, शकुन और स्वर भी प्रश्नफल निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं।